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राई सरसों

देश की सभी मंडियों में एमएसपी से ऊपर बिक रही सरसों

देश की सभी मंडियों में एमएसपी से ऊपर बिक रही सरसों

दशकों से खाद्य तेलों के मामलों में हम आत्मनिर्भर नहीं हो पाए हैं। हमें जरूरत के लिए खाद्य तेल विदेशों से मंगाने पढ़ते रहे हैं। इस बार सरसों का क्षेत्रफल बढ़नी से उम्मीद जगी थी कि हम विदेशों पर खाद्य तेल के मामले में काफी हद तक कम निर्भर रहेंगे लेकिन मौसम की प्रतिकूलता ने सरसों की फसल को काफी इलाकों में नुकसान पहुंचाया है। इसका असर मंडियों में सरसों की आवक शुरू होने के साथ ही दिख रहा है। समूचे देश की मंडियों में सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर ही बिक रही है। सरसों सभी मंडियों में 6000 के पार ही चल रही है।

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सरसों को रोकें या बेचें

Sarson

घटती कृषि जोतों के चलते ज्यादातर किसान लघु या सीमांत ही हैं। कम जमीन पर की गई खेती से उनकी जरूरत है कभी पूरी नहीं होती। इसके चलते वह मजबूर होते हैं फसल तैयार होने के साथ ही उसे मंडी में बेचकर अगली फसल की तैयारी की जाए और घरेलू जरूरतों की पूर्ति की जाए लेकिन कुछ बड़ी किसान अपनी फसल को रोकते हैं। किसके लिए वह तेजी मंदी का आकलन भी करते हैं। बाजार की स्थिति सरकार की नीतियों पर निर्भर करती है। यदि सरकार ने विदेशों से खाद्य तेलों का निर्यात तेज किया तो स्थानीय बाजार में कीमतें गिर जाएंगे। रूस यूक्रेन युद्ध यदि लंबा खींचता है तो भी बाजार प्रभावित रहेगा। पांच राज्यों के चुनाव में खाद्य तेल की कीमतों का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के लिए दिक्कत जदा रहा। सरकार किसी भी कीमत पर खाद्य तेलों की कीमतों को नीचे लाना चाहेगी। इससे सरसों की कीमतें गिरना तय है। मंडियों में आवक तेज होने के साथ ही कारोबारी भी बाजार की चाल के अनुरूप कीमतों को गिराते उठाते रहेंगे।

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प्रतिकूल मौसम ने प्रभावित की फसल

Sarson ki fasal

यह बात अलग है कि देश में इस बार सरसों की बुवाई बंपर स्तर पर की गई लेकिन इसे मौसम में भरपूर झकझोर दिया। बुबाई के सीजन में ही बरसात पढ़ने से राजस्थान सहित कई जगहों पर किसानों को दोबारा फसल बोनी पड़ी। इसके चलते फसल लेट भी हो गई। पछेती फसल में फफूंदी जनित तना गलन जैसे कई रोग प्रभावी हो गए। इसका व्यापक असर उत्पादन और उत्पाद की गुणवत्ता पर पड़ा है। हालिया तौर पर फसल की कटाई के समय पर हरियाणा सहित कई जगहों पर ओलावृष्टि ने फसल को नुकसान पहुंचाया है।

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रूस यूक्रेन युद्ध का क्या होगा असर

रूस यूक्रेन युद्ध का असर समूचे विश्व पर किसी न किसी रूप में पड़ना तय है। परोक्ष अपरोक्ष रूप से हर देश को इस युद्ध का खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा। युद्ध अधिक लंबा खिंचेगा तो विश्व समुदाय के समर्थन में हर देश को सहभागिता दिखानी ही पड़ेगी। इसके चलते गुटनिरपेक्षता की बात बेईमनी होगी और विश्व व्यापार प्रभावित होगा। कोरोना काल के दौरान बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उद्यम को एक और बड़ा झटका लगेगा। विदेशों पर निर्भरता वाली वस्तुओं की कीमतों में इजाफा होना तय है।

सरकारी समर्थन मूल्य से ऊपर बिक रही सरसों

sarson ke layi

सरसों की फसल की मंडियों में आना शुरू हुई है जिसके चलते अभी वो एमएसपी से ऊपर बिक रही है। मंडी में आवक बढ़ने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी कि खरीददार सरसो को कितना गिराएंगे। उत्तर प्रदेश की मंडियों में सरसों 6200 से 7000 तक बिक रही है वहीं कई जगह वह 7000 के पार भी बिक रही है। गुजरे 3 दिनों में सरसों की कीमतें में 200 से 400 ₹500 तक की गिरावट एवं कई जगह कुछ बढत साफ देखी गई। 15 मार्च तक सरसों की आवक और उत्पादन के अनुमानों के आधार पर बाजार में कीमतों की स्थिरता का पता चल पाएगा। अभी खरीदार दैनिक मांग के अनुरूप सरसों की पेराई का फल एवं तेल की सप्लाई दे रहे हैं। कारोबारी एवं किसानों के स्तर पर स्टॉक की पोजीशन 15 मार्च के बाद ही क्लियर होगी।

फरवरी के कृषि कार्य: जानिए फरवरी माह में उगाई जाने वाली फसलें

फरवरी के कृषि कार्य: जानिए फरवरी माह में उगाई जाने वाली फसलें

गेहू की फसल में मुख्य कार्य उर्वरक प्रबंधन एवं सिंचाई का रहता है। ज्यादातर इलाकों में गेहूं में तीसरे एवं चौथे पानी की तैयारी है। तीसरे पानी का काम ज्यादातर राज्यों में पिछले दिनों हुई बरसात से हो गया है। गेहूं में झुलसा रोग से बचाव के लिए डायथेन एम 45 या जिनेब की 2.5 किलोग्राम मात्रा का पर्याप्त पानी में घोलकर छिड़काव करेंं। गेरुई रोग से बचाव के लिए प्रोपिकोनाजोल यानी टिल्ट नामक दवा की 25 ईसी दवा को एक एमएल दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिडकाव करें। टिल्ट का छिडकाव दानों में चमक एवं वजन बढ़ाने के साथ फसल को फफूंद जनित रोगों से बचाता है। छिडकाव कोथ में बाली निकलने के समय होना चाहिए। फसल को चूहों के प्रकोप से बचाने के लिए एल्यूमिनियम फास्फाइड का प्रयोग करें।

जौ

jau ki kheti

जौ की फसल में कंडुआ जिसे करनाल बंट भी कहा जाता है लग सकता है। यह रोग संक्रमित बीज वाली फसल में हो सकता है। बचाव के लिए किसी प्रभावी फफूंदनाशक दवा या टिल्ट नामक दवा का छिड़काव करें।

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चना

chana ki kheti

चने की खेती में दाना बनने की अवस्था में फली छेदक कीट लगने शुरू हो जाते हैं। बचाव हेतु बीटी एक किलोग्राम या फेनवैलरेअ 20 प्रतिशत ईसी की एक लीटर मात्रा का 500 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करेंं।

मटर

matar ki kheti

मटर में इस सयम पाउड्री मिल्डयू रोग लगता है। रोकथाम के लिए प्रति हैक्टेयर दो किलोग्राम घुलनशील गंधक या कार्बेन्डाजिम नामक फफूंदनाशक की 500 ग्राम मात्रा 500 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करेंं।

राई सरसों

सरसों की फसल में इस समय तक फूल झड़ चुका होता है। इस समय माहूू कीट से फसल को बचाने के लिए मिथाइल ओ डिमोटान 25 ईसी प्रति लीटर दवा पर्याप्त पानी में घोलकर छिडकाव करेंं।

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मक्का

makka ki kheti

रबी मक्का में सिंचाई का काम मुख्य रहता है । लिहाजा तीसरा पानी 80 दिन बाद एवं चौथा पानी 110 दिन बाद लगाएं। यह समय बसन्तकालीन मक्का की बिजाई के लिए उपयुक्त होने लगता है।

गन्ना

sugarcane farming

गन्ने की बसंत कालीन किस्मों को लगाने के समय आ गया है। मटर, आलू, तोरिया के खाली खेतों में गन्ने की फसल लगाई जा सकती है। गन्ने की कोशा 802, 7918, 776, 8118, 687, 8436 पंत 211 एवं बीओ 91 जैसी अनेक नई पुरानी किस्में मौजूद हैं। कई नई उन्नत किस्तें गन्ना संस्थानों ने विकसित की हैं। इनकी विस्तृत जानकारी लेकर इन्हें लगाया जा सकता है।

फल वाले पौधे

नीबू वर्गीस सिट्रस फल वाले मौसमी, किन्नू आदि के पौधों में विषाणु जनित रोगों के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोरोपिड 3 एमएल प्रति 10 लीटर पानी में, कार्बरिल 20 ग्राम 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। नाशपाती एवं सतालू आदि सभी फलदार पौधों के बागों में सड़ी गोबर की खाद, मिनरल मिक्चर आदि तापमान बढ़ने के साथ ही डालें ताकि पौधों का समग्र विकास हो सके। आम के खर्रा रोग को रोकने के लिए घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी 0.2 प्रतिशत दवा की 2 ग्राम मात्रा का प्रति लीटर पानी की दर से छिडकाव करें। इसके अलावा अन्य प्रभावी फफूंदनाशक का एक छिडकाव करें। कीड़ों से पौधों को सुरक्षत रखने के लिए इमिडाक्लोरोपिड का एक एमएल प्रति तीन लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।

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फूल वाली फसलें

गुलदाउूजी के कंद लगाएं। गर्मी वाले जीनिया, सनफ्लावर, पोर्चलुका, कोचिया के बीजों को नर्सरी में बोएं ताकि समय से पौध तैयार हो सके।

सब्जी वाली फसलें

aloo ki kheti

आलू की पछेती फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए मैंकोजेब या साफ नामक दवा की उचित मात्रा छिडकाव करें। प्याज एवं लहसुन में संतुलित उर्वरक प्रबधन करें। खादों के अलावा शूक्ष्म पोषक तत्वों का प्रयोग करें। फफूंद जनित रोगों से बचाव एवं थ्रिप्स रोग से बचाव के लिए कारगर दवाओं का प्रयोग करें। भिन्डी के बीजों की बिजाई करें। बोने से पहले बीजों को 24 घण्टे पूर्व पानी में भिगोलें। कद्दू वर्गीय फसलों की अगेती खेती के लिए पॉलीहाउस, छप्पर आदि में अगेती पौध तैयार करें।

पशुधन

पशुओं की बदलते मौसम में विशेष देखभाल करें। रात के समय जल्दी पशुओं को बाडे में बांधें। पशुओं को दाने के साथ मिनरल मिक्चर आवश्यक रूप से दें।